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बहोत सही क्या बात है भाईजान आप नजर नही आ रहे हो साहित्यपिडिया पे

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22 Jul 2022 11:14 AM

हां बस अब ज्यादा मन नहीं करता लिखने का ज़रूरतें इन्सान को बदलने को मजबूर कर देती हैं।

सही बात है जरूरते तो लगी है मेरे कल के गझल पर एक रोशनी डालिये यदि वक़्त मिले तो

22 Jul 2022 11:38 AM

जी बिल्कुल भाई।

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