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Comments on बेटियाँ विदा हो जाती हैं तो, पर छोड़ जाती हैं अपने मन को बाबुल की देहरी पे ही ( मन उनका सिसकता पड़ा रह जाता है बाबुल की देहरी पे)
Taj Mohammad
16 Jul 2022 03:13 PM
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बहुत ही मार्मिक रचना आपने लिखी। अति उत्तम।
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Faza Saaz
Author
16 Jul 2022 04:56 PM
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बहुत शुक्रिया सर
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बहुत ही मार्मिक रचना आपने लिखी। अति उत्तम।