'अशांत' शेखर
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26 Jun 2022 09:14 AM
लाख लाख शुक्रिया हौसला अफजाई के लिये पर आपकी उम्दा कलम मुझे बहोत खास लगती है और बहोत कुछ सिखाती है
26 Jun 2022 09:41 AM
अरे नही जनाब हम तो बस 5 या 6 महिनों से ही लिखने लगे है बस ऐसे ही उर्दू भी नही आती गिने चुने अल्फाज़ दोहराते रहते है। बस यहीं आता है।
'अशांत' शेखर
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26 Jun 2022 10:19 AM
भाई जूनून में आग पढ़ो
ये है जबरजस्त ग़ज़ल। बहुत खुब आपका का मैं तगड़ा वाला फैन बन गया हूं। बहुत ही उम्दा। अंदाज ही जुदा है।