खुद ही तोड़ते हैं रिश्तों को लोग यहां हम दो, हमारे दो का अब गाड़ी भी लोगों से चलता कहां।। लजावाब जी
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खुद ही तोड़ते हैं रिश्तों को लोग यहां
हम दो, हमारे दो का अब गाड़ी भी लोगों से चलता कहां।।
लजावाब जी