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बेहतरीन कविता, अशांत जी।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।

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धन्यवाद जी..! जी जरूर जरूर

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