अप्रतिम रचना। पिता सपनों का साधक है, पिता अभिमान होता है। जगत में जानते हमको, पिता पहचान होता है।। पिता हिम्मत पिता आशा, पिता जागीर सा होता। मीत! जीतें उठा मस्तक, पिता वो मान होता है।।
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धन्यवाद भैया
अप्रतिम रचना।
पिता सपनों का साधक है,
पिता अभिमान होता है।
जगत में जानते हमको,
पिता पहचान होता है।।
पिता हिम्मत पिता आशा,
पिता जागीर सा होता।
मीत! जीतें उठा मस्तक,
पिता वो मान होता है।।