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ये पत्थरों का शहर है ,
यहां किसको अपना बनाइए ,
ये दाग़-ए- दिल किसको दिखाइए ,
ये रूदादे दिल किसको सुनाईए ,
ज़ब्ते ग़म का सिला ना मिला ,
ग़िला है कोई अपना सा ना मिला,

श़ुक्रिया !

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