बहुतई बढिया श्रीमान् जी ???? जा जड़कारौ बहुतई पर रई ठंड, उढ़ना पैरे खूबई फिर भी कांपे अंग । सपरबे की कोऊ कैहै तो जैहे जंग, अगयाने को छोडो़ जात न संग ।। ????
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बहुतई बढिया श्रीमान् जी ????
जा जड़कारौ बहुतई पर रई ठंड,
उढ़ना पैरे खूबई फिर भी कांपे अंग ।
सपरबे की कोऊ कैहै तो जैहे जंग,
अगयाने को छोडो़ जात न संग ।।
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