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20 Jan 2022 04:40 PM

श्री मान रजक जी, आप समाज में आ रही विसंगतियों की ओर इशारा कर के उनमें आ रही समस्याओं से निजात दिलाने की अपेक्षा बना कर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं, किन्तु एक तो समाज में पढ़ने वाले हैं कितने लोग,वो भी अमल कितने करते हैं! सबने अपने जीवन का ढर्रा बदल सा दिया है!हम अपनी नाकामी को बच्चों पर लाद कर सफलता पाने को आतुर है, अध्यापक अपने रोजमर्रा के काम से मुंह चुरा कर नये नये नायाब बहाने ढूंढ रहे हैं! सुधार की आवश्यकता है पर जिम्मेदार लोग उदासीन बने बैठे हैं! खैर आप दायित्वों का निर्वहन करते रहे,सादर अभिवादन।

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20 Jan 2022 05:50 PM

बहुत बहुत आभार आपका जी

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