डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
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18 Jan 2022 11:15 PM
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भावनाओं के भँवर अंतःकरण में उमड़ते , उभरते थमते , आर्त्तनाद् बनते नहीं ,
शब्दों में उकेरने लेखनी के प्रयास सृजन बनते नही ,
धन्यवाद !