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अज़ीम उर्दू शायर जोश मलीहाबादी की लिखी पंक्तियां याद आ गई जो प्रस्तुत हैं:
भूख़ के कानून में ईमानदारी ज़ुर्म है,
और बेईमानियों पर शर्म़सारी ज़ुर्म है ,
डाकुओं के दौर में परहेज़गारी ज़ुर्म है ,
जब हुक़ूमत ख़ाम हो तो पुख्त़ाकारी ज़ुर्म है ,
श़ुक्रिया !

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30 Nov 2021 08:03 AM

बहुत बहुत आभार आपका जी

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