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राधामय बनी ढूंढू कान्हा, काया वही जो छोड गये,
जीना भी तुम मरना भी तुम, हो कहां क्यो चले गये?
अंतराल के बाद मर्मस्पर्शी रचना liked

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धन्यवाद जी

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