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एहसास के पन्नों पर लिखी हुई मैं खुली किताब हूं , गुज़री हकीकत का सिलसिलेवार हिसाब हूं ,
यादों की धूल भी कुछ लगी हुई है,
साजिशों से कुछ पन्ने भी कतरे हुए हैं ,
ज़मीर की ज़िल्द से पन्ने यक़सां रखने की कोशिश हुई है ,
इनमें कुछ मसर्रत के पल , कुछ दर्द में डूबे हुए लम्हे मिलेंगे ,
कुछ वफा की दास्तान , कुछ फरेब खाने के बयान मिलेंगे ,
कुछ टूटे रिश्ते , कुछ नए मरासिम , कुछ दिलो जाँ से चाहने वाले अजीज मिलेंगे,
वक्त की धुंध में खो जाने वाले कुछ अपने , तो कुछ अजनबी दिल के करीब मिलेंगे ,

श़ुक्रिया !

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13 Nov 2021 07:38 AM

वाह… बहुत खूब Sir… वाकई अच्छा लिखा है… ??

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