रवि सर!
आपने ठीक ही कहा, विचार तो सब के पास हैं। मेरे शब्द दैनिक प्रयोग के हैं, इसलिए विद्वान भी नहीं हूँ। हाँ, साहित्य और कला जीवन के लिए अपरिहार्य है। इसलिए अभिव्यक्ति मेरे जीने की कोशिश है। इस राह चल पड़ा तो किसी और रास्ते भटकने से बच गया। आभारी हूँ, हौसला बढ़ाने के लिए।
रवि सर!
आपने ठीक ही कहा, विचार तो सब के पास हैं। मेरे शब्द दैनिक प्रयोग के हैं, इसलिए विद्वान भी नहीं हूँ। हाँ, साहित्य और कला जीवन के लिए अपरिहार्य है। इसलिए अभिव्यक्ति मेरे जीने की कोशिश है। इस राह चल पड़ा तो किसी और रास्ते भटकने से बच गया। आभारी हूँ, हौसला बढ़ाने के लिए।