वीर कुमार जैन 'अकेला'
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4 Nov 2021 06:18 AM
यथार्थ में ऐसा देख कर मन बहुत व्यथित हुआ तब आक्रोश में इस रचना की उत्पत्ति हुई। आपका अति धन्यवाद
सत्य वचन !
अतीत के संताप को भुलाकर जीवन पथ पर अग्रसर होना ही जीवंत रहने का मर्म है। नियति के चक्र से कोई भी मनुष्य अछूता नहीं रहता है। परमपिता परमेश्वर की कृपा से सब कुछ संचालित होता है।
आपकी संवेदना का हार्दिक आभार !