“देखो जी, आप लेखक हो ठीक है, लेकिन जिम्मेदारियाँ पहले हैं। हज़ार रुपए की किताबें न ख़रीद लाना। पहले ही सैकड़ों किताबें तुम्हारे निजी पुस्तकालय में धूल फाँक रही हैं। इतने में कितने सालों का राशन पानी आ जाता!”
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“देखो जी, आप लेखक हो ठीक है, लेकिन जिम्मेदारियाँ पहले हैं। हज़ार रुपए की किताबें न ख़रीद लाना। पहले ही सैकड़ों किताबें तुम्हारे निजी पुस्तकालय में धूल फाँक रही हैं। इतने में कितने सालों का राशन पानी आ जाता!”