Shyam Sundar Subramanian
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22 Oct 2021 08:31 PM
धन्यवाद !
बहुत सुंदर मुक्तक,यही कलयुग का वर्णन है।सबके सब उल्टी दिशा में बहने लगते हैं। धन्यवाद आपका जी।