ग़ज़ल की विधा में कम शब्दों में वेदना की अभिव्यक्ति आसान नहीं है ,पर हर शब्द को चुन चुन कर संजोया है, कांटों के बीच फ़ूलों को उगाया है । विश्वास और अविश्वास की नाजुक सी डोर पर शब्दों को पतंग सा लहराया है। हृदय स्पर्शी चित्रण ???
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ग़ज़ल की विधा में कम शब्दों में वेदना की अभिव्यक्ति आसान नहीं है ,पर हर शब्द को चुन चुन कर संजोया है, कांटों के बीच फ़ूलों को उगाया है ।
विश्वास और अविश्वास की नाजुक सी डोर पर शब्दों को पतंग सा लहराया है।
हृदय स्पर्शी चित्रण ???