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29 Sep 2021 08:10 PM

हा हा हा…. चाॅंद तो मेरा भी है ! अब तो मुझे भी वहाॅं झूला लगाने का मन कर रहा…. इसीलिए चाॅंद को खुद के कब्जे में नहीं करें…. मेरा क्या सबका ही मन करेगा ! इसीलिए चाॅंद का दीदार करने के अलावे औरों की खुशियों के बारे में भी कुछ सोचें !! सबके लिए वहाॅं जाने का रास्ता खोल देंगे तो रचना खूबसूरत बन पड़ी है !! ??

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सबके लिए सूरज है ही।

समीक्षा के लिए धन्यवाद?

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