सुरेखा कादियान 'सृजना'
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25 Sep 2021 12:14 AM
जी बहुत शुक्रिया
अतिसुंदर भावपूर्ण कथा प्रस्तुति !
यह सत्य है, कि मनुष्य सारे संसार को धोखा दे सकता है , परंतु अपने अंतर्मन को कभी धोखा नहीं दे सकता , जो उसके किए कृत्यों के लिए उसे हमेशा कचोटता रहता है।
धन्यवाद !