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ख़यालों के बादल रात भर मंडराते रहे, नींद उड़ गई ; ख्व़ाब जाते रहे , सब्र की इंतिहा हो गई , वक्त हाथों से फिसलता रहा हम उसे थामते रह गए , श़ुक्रिया !

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9 Sep 2021 02:15 PM

Thanks sir

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