बहुत अच्छा लिखा है अर्चना जी आपने ओर आपकी लेखनी के साथ साथ आपके परिधान भी चार चांद लगाये हुए है, साड़ी मे बैठी ऐसी लग रही है जैसे कोई महारानी अपने शयन कक्ष मे बैठकर शास्त्रार्थ के लिए महाराज का इन्तजार कर रही हों
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बहुत अच्छा लिखा है अर्चना जी आपने ओर आपकी लेखनी के साथ साथ आपके परिधान भी चार चांद लगाये हुए है, साड़ी मे बैठी ऐसी लग रही है जैसे कोई महारानी अपने शयन कक्ष मे बैठकर शास्त्रार्थ के लिए महाराज का इन्तजार कर रही हों