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4 Aug 2021 12:05 AM

बहुत सुंदर दर्द भरी दास्तां ! कोशिश करें, छू लें फिर आसमां ! खूबसूरत शब्दों में रची गई ये रचना ! मर्मस्पर्शी, हृदयस्पर्शी है, आपका क्या कहना !! आपको ढेर सारी शुभकामना….

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4 Aug 2021 01:05 AM

बेटियां कुछ कर नहीं सकती जब उठते है ये सवाल।। दिल के सौ टुकड़े होते मन तार तार ।। न जाने क्यूं लगाता है समाज ऎसी आग ।।

4 Aug 2021 08:57 AM

सवाल तो समय-समय पे उठती ही रहेंगी ! बेटियां अपनी काबिलियत सदा सिद्ध करती ही रहेंगी। ना जाने ऐसे सवाल उठाता है क्यूॅं समाज ! बेटियां पहचान हेतु अब नहीं किसी की मोहताज !! भले ही उनके सामने हों थोड़ी-बहुत मजबूरियां ! ऐसे समाज में झेल रही वो पग-पग पे दुष्वारियांं ! फिर भी वो आगे बढ़़ती रहेंगी, झेल के सारी मजबूरियां ! तोड़ देंगी वो मार्ग अवरूद्ध करने वाली सारी बेड़ियां ! छू लेंगी वो आसमान की बहुत सारी बुलंदियां ! फिर समाज के दुश्मन ही देंगे ढ़ेर सारी बधाइयां !!

25 Feb 2024 02:50 PM

Thanks sir

25 Feb 2024 02:50 PM

Thank you sir

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