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2 Aug 2021 09:21 PM

क्या कीजिएगा, आज का युग ही कुछ ऐसा ही है। लोग एक दूसरे की भावनाओं की कद्र अब नहीं कर रहे…. इसी दुनिया में किसी तरह तालमेल बिठाकर जीना मजबूरी है। बहुत सुंदर भाव के साथ खूबसूरत शेर का सृजन आपकी कलम से देखते ही बनती है !

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2 Aug 2021 09:40 PM

इन प्रेरणादायक पंक्तियों के लिए आपका हृदय की गहराइयों से आभार, श्रीमानजी!

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