सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने
जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों हैं
सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना देने में ख़ुशी जो है, कोई बिरला सीखता क्यों है
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सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने
जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है
उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों हैं
सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना
देने में ख़ुशी जो है, कोई बिरला सीखता क्यों है