डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
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20 Sep 2016 11:40 PM
बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद मदन मोहन जी
बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं… सुन्दर चित्रांकन
हर लम्हा तन्हाई का एहसास मुझकों होता है
जबकि दोस्तों के बीच अपनी गुज़री जिंदगानी है
खुद को भूल जाने की ग़लती सबने कर दी है
हर इन्सान की दुनिया में इक जैसी कहानी है