Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

हर वक्त रंग बदलती हैं ज़रूरतें ,
त़ाउम्र खत्म नहीं होतीं हैं ज़रूरतें ,
हास़िल से बढ़कर अज़ीज़ होती है लाहास़िल ज़रूरतें ,
जिंदगी श़िद्दत से जीने मजबूर करती हैं ज़रूरतें है ,
कभी ख्वाहिशों को परवान देतीं हैं ज़रूरते ,
कभी-कभी ईमान को भटका देतींं हैं जरूरतें ,
श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
12 Jul 2021 08:23 PM

जी बहुत खूब लिखा आपने।हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

Loading...