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अषाढ़ की भिंगती तपिश और बहती हवाओं के बीच; कह लो ये कहानियों का मौसम है,
कुछ हम लिखेंगे; कुछ तुम लिखना,
स्याही के समंदर में एकबार फिर
खुद से गले मिलने का मौसम है..:)
©दामिनी ✍? ☀️ ?

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