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कबीर दास ने कभी कोई धर्म,सम्प्रदाय नही चलाया और ना ही कभी किसी को कोई प्रवचन दिए और ना ही सलाह दी । इसलिए वह कामयाब और नाकाम और ना ही पैगम्बर के श्रेणी में नही आते, ये सब तो उनके मरने के बाद लोगो ने तय किया है। कबीर दास के साथ तो यही बिडम्बना है कि वह जिंदगी भर जिन कर्मकांडो का विरोध अपने स्तर पर करता रहा, लोगों ने उनको उसी के स्तर पर कर्मकांडो से जोड़ दिया ।

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28 Jun 2021 08:55 AM

अगर कबीर कामयाब हुए होते तो देश से जातिप्रथा खत्म हो गई होती!

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