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द्वेष ,व्यक्तिगत स्वार्थ, अहं एवं धन लोलुपता से वशीभूत होकर संबंधों का हनन वर्तमान समाज में आम हो चला है। सामाजिक मूल्यों एवं संस्कारों का कोई महत्व नही रह गया है।
संवेदनहीन समाज की रचना हो रही है।
मानवता का भविष्य अंधकारमय है।
धन्यवाद !

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