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4 Jun 2021 04:17 PM

चोर! इस संबंध में आपकी रचना ने यथार्थ को परिलक्षित किया है! यही हो रहा है यही होता आया है, यही होता रहेगा! पात्र बदल जाएंगे किन्तु घटना चक्र यूं ही चलता रहेगा! सादर अभिवादन श्रीमान श्याम सुंदर जी।

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4 Jun 2021 06:12 PM

धन्यवाद !

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