डॉ.सीमा अग्रवाल
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3 Jun 2021 07:46 PM
बहुत खूब
सादर आभार
बरखा का मौसम जी को जला के चला जाए ,
हाय रे ये पानी अगन लगाए,
अगन लगा के चला जाए,
कभी-कभी खोया हुआ फिर मिल जाए,
जाए जो समय फिर मुड़ के ना आए,
धरती से नभ तक अंधेरा ही अंधेरा,
जाने कब किस दिन आएगा सवेरा,
पागल मन मोरा पिया पिया गाता चला जाए,
जी को जला के चला जाए,
बरखा का मौसम जी को जला के चला जाए,
धन्यवाद !