वर्षा ऋतु के बिना ना तो हरियाली है ना ही पीने को पानी,ना ही बहने को नदी नाले, और ना ही किसानों की फसलों को जीवनी शक्ति! यह ऋतु गरम भी है और ठंडक भरी भी,पल में तोला पल में माशा! जीवन जीने की आशा! सादर अभिवादन रजक साहेब।
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वर्षा ऋतु के बिना ना तो हरियाली है ना ही पीने को पानी,ना ही बहने को नदी नाले, और ना ही किसानों की फसलों को जीवनी शक्ति! यह ऋतु गरम भी है और ठंडक भरी भी,पल में तोला पल में माशा! जीवन जीने की आशा! सादर अभिवादन रजक साहेब।