मुंसी प्रेमचंद जी के नाटक हों या उपन्यास, या कथानक, जीवन के सच के जितने निकट हैं, उतने शायद ही किसी और के रहे हों! एक विलक्षण प्रतिभा के धनी को सादर नमन।
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मुंसी प्रेमचंद जी के नाटक हों या उपन्यास, या कथानक, जीवन के सच के जितने निकट हैं, उतने शायद ही किसी और के रहे हों! एक विलक्षण प्रतिभा के धनी को सादर नमन।