Thanks??
छायावादी नहीं, प्रगतिशील रचना सर
धन्यवाद, आज फुर्सत मिली आपको रचनाएं पढ़ने की ?
इस समय कम मैनपॉवर के बीच काम करने के कारण व्हाट्सएप्प और फेसबुक के अलावा अन्य साइट नहीं देख पा रहा हूं. इसी के साथ तमिल लेखिका वोल्गा जी का कहानी संग्रह ‘राजनीतिक कहानियां’ पढ़ रहा हूं. सचमुच धारदार लेखन या तो दलित वर्ग के लोग कर रहे हैं या फिर आप जैसी प्रगतिशील महिला लेखिकाएं. महिलाओं की अनुभूति कहीं अधिक व्यापक, सूक्ष्म और बदलाव का आह्वान करती हुई रहती हैं. आपकी कविताओं में भी यही बात देखता हूं. मैं सिर्फ रचनाओं का मूल्यांकन करता हूं. मैं यह नहीं देखता कि कोई रचनाकार अपना है, परिचित है या कोई और..एक बात और स्पष्ट कर दूं कि मैं न तो दलित हूं, नारी हूं और मुसलमान लेकिन सबसे पहले इनके लिए खड़ा हूं..यह पक्षपात नहीं बल्कि अफरमेटिव डिस्क्रिमिनेशन है. हालांकि कुछ वर्ष पूर्व मैं नितांत दकियानूसी सोच का था.. आप जैसे लोगों को पढ़-पढ़कर तर्क-वितर्क और चिंतन-मंथन करने लगा हूं. अस्तु..
??happy to have you as my friend
सुंदर छाया वादी रचना