प्रशांत जी आप का कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है, यह तो हो गया है, हिन्दू मुस्लिम भी दिखाई दे रहा है कम-से-कम असम में पुंडूचेरी में, बंगाल में भी यही हाल रहा, यह तो दीदी ने सबसे यह अपील करके उन्हें बैकफुट पर कर दिया कि किसी एक को नेता नहीं चुना, यदि उसने शुभेन्दु पर दांव लगाया होता तो ममता को लाले पड़ गए होते, वह भी किसी अधिनायक से कम है क्या! बाकी प्रबंधन पी के ने करके दिखाया है,, उनकी कामयाबी की यह बडी मिसाल है, यूपी को छोड़कर वह सब जगह सफल ही रहा है, लेकिन दुःख हुआ है कि वह अब अपने कार्य से विरत हो रहे हैं!
प्रशांत जी आप का कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है, यह तो हो गया है, हिन्दू मुस्लिम भी दिखाई दे रहा है कम-से-कम असम में पुंडूचेरी में, बंगाल में भी यही हाल रहा, यह तो दीदी ने सबसे यह अपील करके उन्हें बैकफुट पर कर दिया कि किसी एक को नेता नहीं चुना, यदि उसने शुभेन्दु पर दांव लगाया होता तो ममता को लाले पड़ गए होते, वह भी किसी अधिनायक से कम है क्या! बाकी प्रबंधन पी के ने करके दिखाया है,, उनकी कामयाबी की यह बडी मिसाल है, यूपी को छोड़कर वह सब जगह सफल ही रहा है, लेकिन दुःख हुआ है कि वह अब अपने कार्य से विरत हो रहे हैं!