आज के परिवेश में युधिष्ठिर और तथा कथित
सत्ता धीस के मध्य की गई तुलना में काफी ज्यादा अंतर है,तब खुद उनकी पत्नी पर लगा हुआ था, किन्तु आज तो दांव पर आम इंसान को लगाया गया है!रही बात प्रतिकार की तो तब विदुर जैसा सख्स ने मौन धारण नहीं किया था, प्रतिकार किया था, किन्तु तब के तारामंडल रहे भीष्म, गुरु द्रोण,कुलगुरु, कृपा चार्य, और राधेयकर्ण ने इसे अपनी निष्ठा से जोड़ कर अधर्म किया, जिसके लिए उन्हें मृत्यु के समय भी मृत्यु नहीं आई और प्राण पखेरु नहीं हुए! अब आज के परिवेश में यहां तो चारण दरबारियों का सब कुछ दांव पर लगा हुआ है, कहेंगे तो निपटा लिए जाएंगे। सादर अभिवादन के साथ यदि अनुचित लगे तो क्षमा कीजिएगा।।्
आज के परिवेश में युधिष्ठिर और तथा कथित
सत्ता धीस के मध्य की गई तुलना में काफी ज्यादा अंतर है,तब खुद उनकी पत्नी पर लगा हुआ था, किन्तु आज तो दांव पर आम इंसान को लगाया गया है!रही बात प्रतिकार की तो तब विदुर जैसा सख्स ने मौन धारण नहीं किया था, प्रतिकार किया था, किन्तु तब के तारामंडल रहे भीष्म, गुरु द्रोण,कुलगुरु, कृपा चार्य, और राधेयकर्ण ने इसे अपनी निष्ठा से जोड़ कर अधर्म किया, जिसके लिए उन्हें मृत्यु के समय भी मृत्यु नहीं आई और प्राण पखेरु नहीं हुए! अब आज के परिवेश में यहां तो चारण दरबारियों का सब कुछ दांव पर लगा हुआ है, कहेंगे तो निपटा लिए जाएंगे। सादर अभिवादन के साथ यदि अनुचित लगे तो क्षमा कीजिएगा।।्