पुस्तकें ज्ञान वर्धक होती ही हैं, और उनमें संदेश भी छिपा रहता है! सार्थक सोच के साथ ग्रहण करने की आवश्यकता है, यही इस रचना में आभास होता दिखाई देता है! सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।
You must be logged in to post comments.
पुस्तकें ज्ञान वर्धक होती ही हैं, और उनमें संदेश भी छिपा रहता है! सार्थक सोच के साथ ग्रहण करने की आवश्यकता है, यही इस रचना में आभास होता दिखाई देता है! सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।