धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम, कोशिश की है वर्तमान परिवेश को रेखांकित किया जाय!अव्यस्थाओं ने हमारे सिस्टम को खोखला कर दिया है,प्यास लगने पर कुआं खोदने निकलते हैं,तब तक तो कितने ही लोगों के प्राण पखेरु बन कर निकल ही जाएंगे।
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धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम, कोशिश की है वर्तमान परिवेश को रेखांकित किया जाय!अव्यस्थाओं ने हमारे सिस्टम को खोखला कर दिया है,प्यास लगने पर कुआं खोदने निकलते हैं,तब तक तो कितने ही लोगों के प्राण पखेरु बन कर निकल ही जाएंगे।