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21 Apr 2021 09:46 PM

उमा जी, आपकी कहानी पड़कर हृदय द्रवित हो उठा, मै भी निजी संस्था में शिक्षक हूं,पिछले एक वर्ष से लगभग हर निजी संस्थाओं में यही दशा है।
सीमा जी जैसी परिस्थितियां अनेक के साथ है,खाली हाथ है,ओर आंचल जैसी होनहार बेटियों के साथ यह बहुत अन्याय है।
भाई का स्नेह न मिलना और बुरी बात है।
दर्द हम भी कई सहते है,जीना तो पड़ेगा जीते है। हाथ तो हमारे भी रीते है।।
ईश्वर सब की रक्षा करे।

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22 Apr 2021 05:11 PM

सादर प्रणाम !
जी ! बड़ा ही त्रासद काल है । अंधकार मिटाने वाले ही अंधकार से ग्रसित है ।
बहुत बहुत धन्यवाद !

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