आंखों से रहा दिल में उतर कर नहीं देखा, कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा, जज़्बातों को परखा न जाना उसने , हीरे से दिल को पत्थर ही समझा उसने , श़ुक्रिया !
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Bahut khoob
श़ुक्रिया !
आंखों से रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
जज़्बातों को परखा न जाना उसने ,
हीरे से दिल को पत्थर ही समझा उसने ,
श़ुक्रिया !