सुषमा मलिक "अदब"
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12 Nov 2018 08:00 AM
आपका बहुत बहुत आभार जी
माँ की महिमा का मर्मस्पर्शी बखान करती सुन्दर अभिव्यक्ति। माँ के आँचल में समायी संसार की ख़ुशियों को महसूसना औलाद के लिये सुखद अनुभूति है। आपकी रचना पर 185 वां वोट मेरा भी। शुभकामनाएँ।
रचना में कुछ संशोधन सुझा रहा हूँ –
1. पंक्तिया कम रह जाती है= पंक्तियाँ कम रह जाती हैं
2. गम = ग़म
3. कदम (एक पेड़ )= क़दम (पाँव )
4. लाख गम हो जिंदगी में, खुशियों में खो जाती हूँ माँ= लाख ग़म हों ज़िन्दगी में ,ख़ुशियों में खो जाती हूँ माँ
5. बहु = बहू