मेरी कहानियों की संख्या ज़ियादा नहीं है। लगभग 10–12 कहानियाँ ही मैंने लिखी हैं। उनमें से पाठकों ने “माँ”, “नस्लें”, “अर्थपुराण”, “तिलचट्टे”, “टुकड़ा-टुकड़ा यादें”, “एक स्वान की व्यथा” और “मास्टरजी: एक अनकही प्रेमकथा” को काफ़ी सराहा है।
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मेरी कहानियों की संख्या ज़ियादा नहीं है। लगभग 10–12 कहानियाँ ही मैंने लिखी हैं। उनमें से पाठकों ने “माँ”, “नस्लें”, “अर्थपुराण”, “तिलचट्टे”, “टुकड़ा-टुकड़ा यादें”, “एक स्वान की व्यथा” और “मास्टरजी: एक अनकही प्रेमकथा” को काफ़ी सराहा है।