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आदरणीया नीरू जी ! प्रणाम ! सभी इंसान एक से नहीं होते ।कुछ इंसान सगा और सौतेला शब्दों के फासले को मिटाना चाहते हैं अपना भरपूर। प्यार ,सेवा और निष्ठा देकर ।मगर उनके साथ इंसाफ नहीं होता ।उनके साथ बहुत भेद भाव होता है।उनकी भावनाओं ,शिक्षा , रुचि और अरमानों ,जरूरतों को नजर अंदाज कर दिया जाता है नकार दिया जाता है इस बारे मन आपका क्या विचार है?

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