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अतिसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
हस्ती अपनी हबाब की सी है ,
ये नुमाइश सराब की सी है ,
चश्म-ए-दिल खोल इस भी आलम पर ,
याँ की औक़ात ख़्वाब की सी है ,
देखिए अब्र की तरह अब के ,
मेरी चश्म-ए-पुर-आब की सी है ,
श़ुक्रिया !

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26 Feb 2021 10:36 AM

धन्यवाद जी

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