पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
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21 Feb 2021 03:52 PM
आत्मिक आभार आदरणीय
?जय हिंद ?? जय भारत?
चालीस वीरों की कथा, और परिजनों की कहीं व्यथा,भीरु दुश्मन पर किया कटाक्ष,भारत वीरों के नहीं कोई आसपास, बलिदान की यह अंतिम बात नहीं है,रहती कोई आसान रात नहीं,कब कपटी आकर घात करें,घात करें प्रतिघात करें,
अपने हीमवीरों का हम नमन ,हम सुबह शाम दिन रात करें।
आपके द्वारा किया गया वर्णन बहुत हृदय स्पृस करने वाला है।