जीव मात्र के मन प्राण आत्मा में समाहित निश्छल नैसर्गिक प्रेम भाव की उच्चतम स्थिति का अवलोकन कराती, साहित्यिक सौष्ठव से पूर्ण, नयी छंद कला का आश्रय लेती, एक अत्यंत मोहक रचना की प्रस्तुति पर अरुण भाई साहब जा हार्दिक अभिनंदन ।
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जीव मात्र के मन प्राण आत्मा में समाहित निश्छल नैसर्गिक प्रेम भाव की उच्चतम स्थिति का अवलोकन कराती, साहित्यिक सौष्ठव से पूर्ण, नयी छंद कला का आश्रय लेती, एक अत्यंत मोहक रचना की प्रस्तुति पर अरुण भाई साहब जा हार्दिक अभिनंदन ।