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??नींद की उबासी में
सालों महीने गुजर गये
ऐ रात! तेरे पहरे में
न जाने कितने पहर गये ??बहुत उम्दा आदरणीय । हमारी रचना “ये खत मोहब्बत के” पर भी प्रकाश डालें पसंद आये तो अवलोकन कर वोट देने की कृपा करें ।???मुझे आपके वोट का इंतजार है महोदय । ?????

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