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हादसे क्या क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए , सारी दुनिया के लिए हम अजनबी से हो गए , खुल गया है अब आस्ताँनों का भरम , हम अस़ीरे दाम़-ए- ग़ुल अपनी खुशी से हो गए , श़ुक्रिया ! आपकी प्रस्तुति को वोट कर दिया है। कृपया मेरी प्रस्तुति “प्रेम” अवलोकन कर अपना मत प्रस्तुत करें !

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