आपने कहा, “मिले तो सही” और हमने “वोट” दे दिया। उम्मीद है, मिल गया होगा। तो ख़ाकसार की रचना “क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त….” को भी अपना बहुमूल्य वोट दीजिये श्रीमान जी।
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आपने कहा, “मिले तो सही” और हमने “वोट” दे दिया। उम्मीद है, मिल गया होगा। तो ख़ाकसार की रचना “क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त….” को भी अपना बहुमूल्य वोट दीजिये श्रीमान जी।